कि उनके हाथों में सँज गई मेंहदी
पहन चुनर सुर्ख मेरे लहु की
वो चल पड़े मेहमानों की तरह
बातें करते हैं सबसे हँस-हँस कर
जब भी पड़ जाती है मुझपे नज़र
मुँह फेर लेते है बेगानों की तरह
मेरे दिल का बना खिलौना
पहले जी भर के खेला अर्मानों का खेला
फिर बेच आये बेसामानों की तरह
किसके बातों पर एतबार करूँ
किसके आँखों मे मुहब्बत पढ़ लूँ
वो बन गये बेजबानों की तरह
पलकें झुकी और आँखे नम
उस खुदगर्ज के साथ बिताये दिन
याद आते है एहसानों की तरह
बुरा जो चाहूँ तो किसका
जो मेरी साँसे है उसका
नहीं हूँ मैं शैतानों की तरह !!
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पहन चुनर सुर्ख मेरे लहु की
वो चल पड़े मेहमानों की तरह
बातें करते हैं सबसे हँस-हँस कर
जब भी पड़ जाती है मुझपे नज़र
मुँह फेर लेते है बेगानों की तरह
मेरे दिल का बना खिलौना
पहले जी भर के खेला अर्मानों का खेला
फिर बेच आये बेसामानों की तरह
किसके बातों पर एतबार करूँ
किसके आँखों मे मुहब्बत पढ़ लूँ
वो बन गये बेजबानों की तरह
पलकें झुकी और आँखे नम
उस खुदगर्ज के साथ बिताये दिन
याद आते है एहसानों की तरह
बुरा जो चाहूँ तो किसका
जो मेरी साँसे है उसका
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