हस्रत ही रही दिल की
कभी उनकी वफा पाये
वो आये तो मुस्कराये
वो जाये तो रूठ जाये
आने लगी है खुशबू
अब तो बनावटी फूलों से भी
पहचान कैसे हो महज़
खुशबू से जो बहक जायें
उनके मिलने की गर्मजोशी
और मेरे अंदाज बयां करते
कि ख़ास है एक चेहरा
जो पढ़ के भी ना पढ़ पाये
आँखों मे अश्क देते पराये नहीं
बेशक अपने हैं
फ़र्याद मुस्करा के
किससे किस अंदाज में बतलाये
मुंतज़िर सी निगाहें
तलाशती है शुकून के दो पल
टुटे हुए इस दिल से
किस लख्त़े दर को खटखटाये
अये बादल जरा बरस जा
दिल की बंजर धरती पर
कुछ जज्बात उमड़ आये
कुछ एहसास पनप जायें
हस्रत -इच्छा
मुंतज़िर - इंतज़ार करने वाला
लख़्ते दर - दरवाजे की किवाड़
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कभी उनकी वफा पाये
वो आये तो मुस्कराये
वो जाये तो रूठ जाये
आने लगी है खुशबू
अब तो बनावटी फूलों से भी
पहचान कैसे हो महज़
खुशबू से जो बहक जायें
उनके मिलने की गर्मजोशी
और मेरे अंदाज बयां करते
कि ख़ास है एक चेहरा
जो पढ़ के भी ना पढ़ पाये
आँखों मे अश्क देते पराये नहीं
बेशक अपने हैं
फ़र्याद मुस्करा के
किससे किस अंदाज में बतलाये
मुंतज़िर सी निगाहें
तलाशती है शुकून के दो पल
टुटे हुए इस दिल से
किस लख्त़े दर को खटखटाये
अये बादल जरा बरस जा
दिल की बंजर धरती पर
कुछ जज्बात उमड़ आये
कुछ एहसास पनप जायें
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