जिक्र कोई ख़ास तो छेड़ा नहीं
उनकी याद फिर दिला गये मुझे
जब चली ठंडी हवा छाई घटा
यूँ लगा दामन हिला गये मेरे
जब कभी बहकी शमाँ तो शक़ हुआ
खिड़कियों से वो बुला गये मुझे
जब कभी दर्पण उठा देखा अये दिल
आकर गालो को सहला गये मेरे
साथ बिते खुशगवार लम्हों में
गुलाब की खुशबू जगा गये मेरे
हँस के कोई बात जो सोची अगर
वो हँसी भी वो चुरा गये मेरे
जिन पलो मे सिर्फ बची कुछ यादे थी
ख्वाब के वो पल रूला गये मुझे
किस से करू शिकवा- शिकायत बता
जान थे और जान ले गये मेरे !!
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उनकी याद फिर दिला गये मुझे
जब चली ठंडी हवा छाई घटा
यूँ लगा दामन हिला गये मेरे
जब कभी बहकी शमाँ तो शक़ हुआ
खिड़कियों से वो बुला गये मुझे
जब कभी दर्पण उठा देखा अये दिल
आकर गालो को सहला गये मेरे
साथ बिते खुशगवार लम्हों में
गुलाब की खुशबू जगा गये मेरे
हँस के कोई बात जो सोची अगर
वो हँसी भी वो चुरा गये मेरे
जिन पलो मे सिर्फ बची कुछ यादे थी
ख्वाब के वो पल रूला गये मुझे
किस से करू शिकवा- शिकायत बता
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