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Thursday, May 19, 2016

मेरे हाथों की लकीरें

मेरे हाथों की लकीरों में वो लकीर नहीं
जिसे दिल चाहें वो मिल जायें 
ये तक़दीर नहीं

चाहत के मुतज़िर ये निगाहें बेबस
छलकता प्यार पैमाना
ये तक़दीर नहीं

अब हर मुआमला जज़्ब है सीने में कही
उनतक पहुँचे मेरे जज़्बात 
ये तक़दीर नहीं

माजराये दिल उनके कदमों में उठाकर रख दूँ
बदल जाये तब भी हालात 
ये तक़दीर नहीं

मस्ते शबाब हैं वो क़द्र वफा की क्या जाने
मिले हमारे खयालात 
ये तक़दीर नहीं

बड़ी मुश्किल से जख़्मेजिगर संभाला है मगर
हरबार हो ये चमत्कार 
ये तक़दीर नहीं

हवाए समूम फैली है फ़िजा मे शायद
मोहब्बत बदल दे ये आसार
ये तक़दीर नहीं


अर्थ -----
मुतज़िर - इंतज़ार करने वाला
जज़्ब - आत्मसात् ,एक मे समाया हुआ
माजराये दिल -हृदय की व्यथा,प्रेम कहानी
मस्तेशबाब - जवानी के नशे मे चूर
खयालात - विचारधारा
जख़्मेजिगर - इश्क का जख़्म
हवाए समूम - जहरीली हवा
आसार - लक्षन
फ़िज़ा - वातावरण 

                                                                                                                       
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