झूठ का बोलबाला है
सच का मुँह काला है
सच कहूँ तो जूते पड़ते
झूठ पे फूलों की माला है
जो जितना पाप करे
जीवन उतना मधुशाला है
जन्मदाता का वृद्धाआश्रम
और पत्नी के लिए घर प्यारा है
जान की कीमत दो कौड़ी
बेजान पे लाखो खर्च डाला है
जख़्म कुरेदने आते सब यहाँ
भरने कोई नहीं आया है
रोता हँसता,हँसता रोता
वक़्त बदले सब बदला है
मुस्कुराता हरदम मिले जो
समझो वही विष का प्याला है
कड़वे सच से रूबरू कराता
वही हमदर्द हमारा है
तुम्हें गिरा हम आगे बढ ले
यहीं ख़्वाहिश दिल में पाला है
बुरे कर्मो का दोष हमेशा
ऊपर वाले पे डाला है
मैं सही तुुम गलत
इसी बात का झगड़ा-टंटा है
ख़ुद चैन से ना जीना
और न दुसरे को जीने देना है
जीवन चार दिनों का मेला
समझ न कोई पाया है
फँसा हुआ है साँस जिस्म में
छटपटाता जैसे परिन्दा है
सच ही तो कहा है किसी ने
सब्र करके भी आह जिंदा है
सच का मुँह काला है
सच कहूँ तो जूते पड़ते
झूठ पे फूलों की माला है
जो जितना पाप करे
जीवन उतना मधुशाला है
जन्मदाता का वृद्धाआश्रम
और पत्नी के लिए घर प्यारा है
जान की कीमत दो कौड़ी
बेजान पे लाखो खर्च डाला है
जख़्म कुरेदने आते सब यहाँ
भरने कोई नहीं आया है
रोता हँसता,हँसता रोता
वक़्त बदले सब बदला है
मुस्कुराता हरदम मिले जो
समझो वही विष का प्याला है
कड़वे सच से रूबरू कराता
वही हमदर्द हमारा है
तुम्हें गिरा हम आगे बढ ले
यहीं ख़्वाहिश दिल में पाला है
बुरे कर्मो का दोष हमेशा
ऊपर वाले पे डाला है
मैं सही तुुम गलत
इसी बात का झगड़ा-टंटा है
ख़ुद चैन से ना जीना
और न दुसरे को जीने देना है
जीवन चार दिनों का मेला
समझ न कोई पाया है
फँसा हुआ है साँस जिस्म में
छटपटाता जैसे परिन्दा है
सच ही तो कहा है किसी ने
सब्र करके भी आह जिंदा है