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Thursday, September 29, 2016

यहाँ झूठ का बोलबाला है

                                    
झूठ का बोलबाला है
सच का मुँह काला है

सच कहूँ तो जूते पड़ते
झूठ पे फूलों की माला है

जो जितना पाप करे
जीवन उतना मधुशाला है

जन्मदाता का वृद्धाआश्रम
और पत्नी के लिए घर प्यारा है

जान की कीमत दो कौड़ी
बेजान पे लाखो खर्च डाला है

जख़्म कुरेदने आते सब यहाँ
भरने कोई नहीं आया है

रोता हँसता,हँसता रोता
वक़्त बदले सब बदला है

मुस्कुराता हरदम मिले जो
समझो वही विष का प्याला है

कड़वे सच से रूबरू कराता
वही हमदर्द हमारा है

तुम्हें गिरा हम आगे बढ ले
यहीं ख़्वाहिश दिल में पाला है

बुरे कर्मो का दोष हमेशा
ऊपर वाले पे डाला है

मैं सही तुुम गलत
इसी बात का झगड़ा-टंटा है

ख़ुद चैन से ना जीना
और न दुसरे को जीने देना है

जीवन चार दिनों का मेला
समझ न कोई पाया है

फँसा हुआ है साँस जिस्म में
छटपटाता जैसे परिन्दा है

सच ही तो कहा है किसी ने
सब्र करके भी आह जिंदा है
                                       

Sunday, September 25, 2016

हमसफ़र न मिलेगा

                                 
चाहेंगें भी तो इस दिल-सा दीग़र( दुसरा)न मिलेगा
दिलोजाँ से जो फिदा हो हमसफ़र न मिलेगा

जैसे रखा है आपने हम उसमे खुश रहे
चाहत का मेरे दिल सा समन्दर न मिलेगा

दिल में बिठा के आपको पूजा है रात- दिन
बुत को खुदा है माना ये नज़र न मिलेगा

जायें कहीं भी आप चाहत की खोज में
दे दे जो इतनी मुहब्बत कही बाहर न मिलेगा

इक दरिया हूँ प्यार का कभी खुद मे समा के देखें
ढूंढ़ने से भी ऐसा कहीं मंजर न मिलेगा

देखा है आपने भी खूब ज़माना
मानेंगे वफा की राह में जब रहबर न मिलेगा

ओ चाहत के सौदागर रूक जा यही पे तू
मोहब्बत की ये ज़मी कभी बंजर न मिलेगा

नहीं है यकीं तो कभी आज़मा के देख लें
लौटेगे कभी आप तो ये दर न मिलेगा

कदमों मे दिल पड़ा है देखें इक नज़र
ठुकरा के चल दिये तो फिर ये मुक़द्दर न मिलेगा

                               






Wednesday, September 21, 2016

कौन जाना चाहें मैखाना

                                
सामने वो थी पीछे मैखाना
जान मुश्किल में थी ये अब जाना

इक तरफ वो बुला रही थी मुझे
छलक रहा था पीछे पैमाना

इक शबाब का नशा था यारो
शराब का कम नहीं था उसकाना

दिल बहकने लगा जब मेरा
नशा क्या होता है ये तब जाना

साक़ी थोड़ा शराब पीने दे
कि होश मे ना रहे ये दिवाना

यूँ निगाहों से ना पिलाया कर
बड़ा कातिल है तेरा मुस्काना

तू जो चाहे ना देखू मैखाना
जान हाजिर भरूँगा हर्जाना

है मुहब्बत के सिवा कुछ भी नही
और क्या दूँ मै तुझे नज़राना

यूँ झील-सी आँखो मे ना डुबाया कर
तैरना जानता नहीं परवाना

इतना नशा है तेरी इन आँखों में
कौन जाना चाहें मैखाना

मौसम हो रहा है आशिकाना
तेरी आँखों मे दिख रहा पैमाना

                                                          







Friday, September 16, 2016

तेरे दिल मे घर बना लेंगे

                            

करेंगे इतनी मुहब्बत की तुम्हें तुमसे चुरा लेंगे
इक बेअदब चाहत को अदब करना सीखा लेंगे

मिलेंगे खार राहों में तो हम उनसे निभा लेंगे
तुम्हारी बेवफाई भी गले अपने लगा लेंगे

ना चाहों तुम,तुम्हें हक़ है,ये दिल तुम्हारा है
मगर ख़ुद के लिए कोई सनम हम क्यूँ सज़ा लेंगे

कभी वो वक़्त आएगा जरूरत तुम्हे मेरी होगी
उसवक़्त के इतंजार मे हम पलके बिछा लेंगे

ये बातें साफ है हमदम मुहब्बत मे अहम् कैसा
ख़ुदी तुम करो वो भी सिर- माथे उठा लेंगे

अपनी मुस्कराहट पे किसी और को हक़ दो
तो आकर हम इन होंठों से तब्बसुम चुरा लेंगे

है चाहत मे इतनी ताकत कि खुदाई भी झुक जाये
तुम क्या चीज, तेरे दिल को ना अपना बना लेंगे

भरोसा है उस रब पे और अपनी मुहब्बत पे कि
वो दिन आएगा,तेरे दिल मे अपना घर बना लेंगे

                             


Monday, September 12, 2016

लम्बोदरा विध्नहर्ता

                                   
लम्बोदरा विघ्नहर्ता
बुद्धि समृद्धि वैभव के दाता

प्रथम पूजा होती तेरी
हे गौरी पुत्र गणपति बप्पा

मूषक वाहन सिंदूर चढ़े माथा
बसो मनमंदिर मे शिव सुत

मोदक प्रिय एकदंता
सुखकर्ता हे दुखहर्ता

नारियल सुपारी पान चढ़ जाता
दूब तुम्हें अति है भाता

रिद्धी सिद्धी के तुम दाता
शुभ और लाभ मंगल गाता

जो भी तेरा ध्यान है ध्याता
दुख दरिद्रता निकट नही आता

करू विनती दोनो कर जोड़े देवा
भक्तन पर कृपा करो दिन राता

सकल मनोरथ पूर्ण हो जाता
तेरे नाम की जो मंगल गाता

लम्बोदरा विध्नहर्ता
बुद्धि समृधि वैभव के दाता

                                 


              





Thursday, September 8, 2016

हम गये हम गये

                                 
रफ़्ता-रफ़्ता दिल में वो
घर जो बनाने चल दिये
दिल में एक हलचल मची
हम गये हम गये

ना कोई माँगी इजाज़त
ना कोई दरखास्त दिये
बेधड़क दाखिल हुये
हम गये हम गये

क्या करें क्या न करे अब
कुछ भी समझने ना दिए
मुझको दिवाना किये
हम गये हम गये

                                 
बैठे है मेरे ही दिल में
मेरा ही रस्ता रोके हुए
आँखो से घायल किये
हम गये हम गये

दिल पराया हो गया
जाँ भी पराया कर दिए
इक इशारा फिर किये
हाय हम गये हम गये

उनका दिल मेरा हुआ
मेरा दिल वो ले गए
मुआमला अब साफ था
फिर भी
हम गये हम गये