चाहेंगें भी तो इस दिल-सा दीग़र( दुसरा)न मिलेगा
दिलोजाँ से जो फिदा हो हमसफ़र न मिलेगा
जैसे रखा है आपने हम उसमे खुश रहे
चाहत का मेरे दिल सा समन्दर न मिलेगा
दिल में बिठा के आपको पूजा है रात- दिन
बुत को खुदा है माना ये नज़र न मिलेगा
जायें कहीं भी आप चाहत की खोज में
दे दे जो इतनी मुहब्बत कही बाहर न मिलेगा
इक दरिया हूँ प्यार का कभी खुद मे समा के देखें
ढूंढ़ने से भी ऐसा कहीं मंजर न मिलेगा
देखा है आपने भी खूब ज़माना
मानेंगे वफा की राह में जब रहबर न मिलेगा
ओ चाहत के सौदागर रूक जा यही पे तू
मोहब्बत की ये ज़मी कभी बंजर न मिलेगा
नहीं है यकीं तो कभी आज़मा के देख लें
लौटेगे कभी आप तो ये दर न मिलेगा
कदमों मे दिल पड़ा है देखें इक नज़र
ठुकरा के चल दिये तो फिर ये मुक़द्दर न मिलेगा
दिलोजाँ से जो फिदा हो हमसफ़र न मिलेगा
जैसे रखा है आपने हम उसमे खुश रहे
चाहत का मेरे दिल सा समन्दर न मिलेगा
दिल में बिठा के आपको पूजा है रात- दिन
बुत को खुदा है माना ये नज़र न मिलेगा
जायें कहीं भी आप चाहत की खोज में
दे दे जो इतनी मुहब्बत कही बाहर न मिलेगा
इक दरिया हूँ प्यार का कभी खुद मे समा के देखें
ढूंढ़ने से भी ऐसा कहीं मंजर न मिलेगा
देखा है आपने भी खूब ज़माना
मानेंगे वफा की राह में जब रहबर न मिलेगा
ओ चाहत के सौदागर रूक जा यही पे तू
मोहब्बत की ये ज़मी कभी बंजर न मिलेगा
नहीं है यकीं तो कभी आज़मा के देख लें
लौटेगे कभी आप तो ये दर न मिलेगा
कदमों मे दिल पड़ा है देखें इक नज़र
ठुकरा के चल दिये तो फिर ये मुक़द्दर न मिलेगा
No comments:
Post a Comment