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Saturday, October 22, 2016

मन साफ करे

                                  
करते हैं लोग साफ रेत-ईंटों की मकाँ
रखते   हैं  गंदगी  अंदर   संभाल  के

जला आतें रावण  बुराईयों  के  नाम
ले आते हैं  बुराईयाँ  दिल में डाल के

करतें हैं पूजा मन मे भगवान ही नहीं
वरना पिघलता दिल पत्थर निकाल के

हैं  राम बगल में औ  छुरी भी बगल में
हर इक बना भगवान अपने ख़याल के

है  खड़ा तन्हा एक  दुसरी तरफ हैं सौ
फिरभी कहता सताता है दम निकाल के

कमजोर को सताने चला आता काफिला
मज़बूत की गलती पर खड़ा पर्दा डाल के

इंसान हैं  हम  गलतियाँ  सबसे  होती  है
झुक जाओ तो रख दे लोग जां निकाल के

माँ  सीता  को  पड़ी  देनी   अग्निपरीक्षा
फिर भी  माना राम ने  घर से निकाल के

गैरों के लिए अपनो का  त्याग कर दिया
पूजते है उन्हें आज भी  बिना सवाल के

दीये  जलाये  कितने   अंधेरा  दिल  है
ढूंढ़ें  ख़ुद को  कैसे  ख़ुद से निकाल के

डंके की चोट पर जो कहता है बात सच
वही खड़ा कटघरें में आज दिनदयाल के


दिनदयाल ईश्वर को कहा गया है

                               



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