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Saturday, March 19, 2016

वृंदावन श्याम खेले होली

वृंदावन श्याम खेलत होरी(होली)
चली आओ सखियाँ
आज मौका मिला है
उन्हें रंगने-रंगवाने का
रंगो-रंगाओ सखियाँ
लाल लगाऊँ,पीली या हरी,गुलाबी
ये बताओ सखियाँ
किस रंग में कान्हा रंगेगे
हमे बताओ सखियाँ
प्रेम के रंग मे रंग दो
यही रंग उन्हें हैं प्यारी
चली आओ सखियाँ
कृष्णा ले आये पिचकारी
रंगो-रंगाओ सखियाँ
कृष्णा जब लाये पिचकारी
गोपियाँ भाव दिखायी
जरा इतराई गोपियाँ
ऐसे ना लगवाऊँगी रंग
पहले बंसिया बजा के
जरा रिझाओ रसिया
आज मौका मिला है
हमे रिझाओ रसिया
मंद मंद कान्हा मुस्काये
ऐसी तान सुनाये
घिर के आ गई गोपियाँ
सुधबुध खोके रास रचाने
घिर के आ गईं गोपियाँ
जब वो खोई सुर की धुन मे
कान्हा को मिला मौका
रंग गई सारी गोपियाँ
उनके प्यार के रंगो में
रंग गई सारी गोपियाँ
चिढ़कर बोली गोपियाँ सारी
कान्हा ये धोखा है
रंग लगवा लो छलिया
हमसब आई होली खेलन
रंग लगवा लो छलिया
आगे-आगे कृष्ण मुरारी
पीछे गोपियाँ सारी
दौड़ लगाये रसिया
थककर चूर गोपियाँ सारी
दौड़ लगाये रसिया
देखकर उनकी हालत
कान्हा को दया आई
बैठ गये रसिया
आओ रंग दो जो रंग चाहो
आकर बैठ गये रसिया
कोई लगाता लाल कोई
हरा -पीला- गुलाबी
रंगतें जाये कन्हैया
सबको अपने रंगो मे रंगने वाले
आज खुद रंगते जाये कन्हैया
साँवली सुरत रंगीं चेहरा
और भी मन को लुभाये
वारी जाये गोपियाँ
आज जीवन सफल हुआ रे
वारी जाये गोपियाँ !!



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