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Wednesday, May 11, 2016

ढूंढती है ये नज़र

ढूंढ़ती है ये नज़र पाक मोहब्बत तेरी
तेरी नज़रों ने सिर्फ मेरी वफा माँगी थी

बहुत ही ख़ुश थी ये सोचकर मेरे ज़ाहिद
तुमने औरो की तरह और न कुछ माँगी थी

मुफ़्लिसी के फटे कपड़े जो पहने थे मैने
उन मजबुरियों पे लोगों की नज़रे आई थी

मैने हर उधड़न को हथेली से ढ़कना चाहा तो
कुछ बेशर्मीयाँ कऱिब चली आईं थी

मेरी आँखों मे छिपे शर्म और दर्द को पढ़कर
एक तुम ही थे जो हवा के झोंके बन आये थे

डालकर मेरे बदन पर इज्जत की चादर
खींच उस भीड़ से दूर ले आये थे

बहुत ही मद्धम -सी लौ दिल मे जगमगाई थी
कोई सवाल ना कोई जवाब दरम्या था
सिर्फ आँखो की गहराईयाँ समाई थी

रेत के बिछौने पे डाल चादर बादलो की
रात आँखो आँखो मे ही काट पाये थे

दो लफ़्ज सुनने के लिए तुमसे मेरे लब जो हिले
चुप रहने का इशारा कर
एक घरौंदा वफा का रेत पर बनाये थे

लगी झपकी आँखें खुली तो देखा चाँद गुम है
सुरज की रौशनी सागर से मिलने आये थे

वहाँ सिर्फ तन्हाई थी और थी तड़प लहरों की
वो घरौंदा भी बह गया था जो तुम बनाये थे

दूर तक कदमो की कोई तेरी निशाँ ना थी
तुम फरिश्ता थे या दर्द बनकर आये थे

एक सदा मिश्री मे लपेटी हुई तुमसे सुनने की
बस इतनी चाहत थी
तुम क्यों नहीं समझ पाये थे

आज भी उस चादर में सिमटी उन यादों को
ताजा रक्खा है मैने बासी होने ना दिया

रोज गुज़रती हूँ उस राह से
पूछने लहरों से तेरा पता
शायद मिल जाओ कभी
तो कह दूँ तुमसे
वापस ले जाओ
अपनी चादर और यादों के पल
और लौटा दो मेरा दिल जिसे
गलती से साथ अपने ले आये थे !!





1 comment:

  1. BHATARIN KHOBSURAT SABDAVLI KI AMULAYA RACHANA!!HART TACHING WORDS, AND BUTYFULL SANTANCE LINE!!JAISHREEKRISHANA.

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