बज़्मे मय उसने बुलाया
तो कुछ याद आया
थोड़ी जब उसने पिलाया
तो उसकी सुन पाया
अर्सए दराज़ तक
जिन्हें रूह में दफनाया था हमने
हालेदिल उसने बताया
हमें समझ आया
हम समझते रहे बेवफ़ा जिन्हें
सरे बाज़ार रूसवाईयाँ दी जिन्हें
बात जब खुलकर आया
बहुत तड़पाया
उसने क्या- क्या न किया हमारे खातिर
हमारे वजूद को जिन्दा रखने के खातिर
हारकर मुझको जिताया
बहुत शर्म आया
अब क्या-क्या हिसाब दूँ
उनकी मेहरबानियों का
ख़ुद की नज़रों में
आज इतना गिर गया
जब नापाक कहकर उसे
सबने बुलाया
मैं कैसे सह पाया
मेरी ज़िंदगी बनाकर
ख़ुद निकल पड़े
एक एैसी राह पे
जिसकी न कोई मंज़िल
न कोई रास्ते
साथ दूँ भी तो कैसे
मेरी नफरत ने
दुजा आश्याँ बसाया
बहुत पछताया
मेरी ज़िंदगी आज
किसी और की अमानत है
उनको भी हमसे ही मोहब्बत है
कैसी दो राहों पे आया
ख़ुद पे ही कहर ढ़ाया
गुनाहगार हम थे
सज़ा भी हमें ही मिलती
मगर उनकी दुआँओ में
वो कशिश थी
मुझे हर बार बचाया
खु़दा नज़र आया !!
बज़्मे मये- शराब की महफिल,
अर्सये दराज़ -काफी लंबे समय तक
तो कुछ याद आया
थोड़ी जब उसने पिलाया
तो उसकी सुन पाया
अर्सए दराज़ तक
जिन्हें रूह में दफनाया था हमने
हालेदिल उसने बताया
हमें समझ आया
हम समझते रहे बेवफ़ा जिन्हें
सरे बाज़ार रूसवाईयाँ दी जिन्हें
बात जब खुलकर आया
बहुत तड़पाया
उसने क्या- क्या न किया हमारे खातिर
हमारे वजूद को जिन्दा रखने के खातिर
हारकर मुझको जिताया
बहुत शर्म आया
अब क्या-क्या हिसाब दूँ
उनकी मेहरबानियों का
ख़ुद की नज़रों में
आज इतना गिर गया
जब नापाक कहकर उसे
सबने बुलाया
मैं कैसे सह पाया
मेरी ज़िंदगी बनाकर
ख़ुद निकल पड़े
एक एैसी राह पे
जिसकी न कोई मंज़िल
न कोई रास्ते
साथ दूँ भी तो कैसे
मेरी नफरत ने
दुजा आश्याँ बसाया
बहुत पछताया
मेरी ज़िंदगी आज
किसी और की अमानत है
उनको भी हमसे ही मोहब्बत है
कैसी दो राहों पे आया
ख़ुद पे ही कहर ढ़ाया
गुनाहगार हम थे
सज़ा भी हमें ही मिलती
मगर उनकी दुआँओ में
वो कशिश थी
मुझे हर बार बचाया
खु़दा नज़र आया !!
बज़्मे मये- शराब की महफिल,
अर्सये दराज़ -काफी लंबे समय तक
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