Search This Blog

Monday, February 15, 2016

मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी

पूछ दिया एक दिन कान्हा ने यूँही
चिढ़ गईं राधा रानी हमारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
दर्पण हाथ लिये यदुनंदन
सच-सच बताओ
वृषभान की दुलारी (राधा के पिता वृषभान)
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
मैं क्या बोलूँ,तुम खुद ही देखो
मैं गोरी,तुम साँवले बिहारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
मेरा बदन जैसे चँदा की चाँदनी
तुम्हारा बदन जैसे रात काली- काली
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
तुम कहलाते माखनचोर हो
मै चितचोर तुम्हारी मुरारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
तुम्हारी मुस्कान पे मरती गोपियाँ
मेरी मुस्कान पे आप मरते गिरधारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
हम पहनते हैं चुनरी- गहनें
तुम ओढ़ते हो काली कंबल बिहारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
कान अपनी पकड़ मनाते कान्हैंया
मान जाओ माता कीर्ति की दुलारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
जीत देख इतराईं राधा रानी
वार किया अंत मे अति भारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
तुम्हारे सिर पर मोर-मुकुट है
मेरे सिर पर साक्षात् आप बनवारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
बाँध रखा जिन्होंने सबको मोहपाश में
आज खु़द उस फंदे में बँधे खड़े गिरधारी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
कैसी- कैसी लीला प्रभू रचते
दोनो तरफ प्रेम की गति गाढ़ी
मैं हूँ सुन्दर या तुम हो राधा प्यारी
हार गये हर तर्क में कान्हा
मंद मंद मुस्काये  मुरारी
कौन जीता है अपनी प्रिय से
क्यों जलती है मेरी राधा प्यारी
तुम हो सुन्दर सिर्फ तुम ही राधा प्यारी !!



No comments:

Post a Comment