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Saturday, August 13, 2016

बाबा के द्वार

 
                               
                                
                                                     
मनवा मे उठल बा विचार
हम हूँ जाइब बाबा के द्वार
छा गईल सावन के बहार
पहुँचनी काँवरिया शिव के द्वार

बरखा बरसेला बेशुमार
राहियाँ मे छईया ना हमार
पैर मे छाला पड़ल हजार
देखी ना प्रभू पीड़ा हमार

नदियाँ पहाड़ करके पार
जल लेके अईनी तोहरे द्वार
सुल्तानगंज से काँवर धइनी साथ
पैदल ही अईनी तोहरे द्वार

बेलपत्र धतुरा भी बा पास
भाँग के गोला लईनी साथ
हाथ जोरत बानी हम तोहार
ले ली ना बाबा  प्यार हमार

भक्तन के भीड़ बा अपार
उनका मे हम हू बानी ठार
गुँजल बा तोहरे जय जयकार
तुही लगईब नईया सबके पार

बम बम बम बम बम बम बम बम
बम बम बम बम बम बम बम बम बम

                              


                                    





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